Tuesday, 29 September 2015

क्या आप जानते हैं मनचाहा जीवनसाथी पाने का मंत्र?


'श्रीरामचरितमानस' के दोहों और चौपाइयों का मंत्र के रूप में प्रयोग काफी पहले से किया जाता रहा है. ऐसी मान्‍यता है कि इस ग्रंथ में जो दोहे या चौपाई जिस प्रसंग में लिखे गए हैं, उससे मिलती-जुलती परिस्‍थ‍िति पैदा होने पर उन पंक्‍तियों के ध्‍यान-स्‍मरण या जप से साधकों का कल्‍याण होता है.
मानस में मनचाहा जीवनसाथी पाने का भी बहुत सुंदर प्रसंग है. उन चौपाइयों का मंत्र के रूप से पूरी आस्‍था के साथ ध्‍यान व जप करने से कामना की पूर्ति होती है. इतना जरूर है कि कामना सच्‍ची और पवित्र होनी चाहिए, वह तभी फलदायी होती है. मंत्र इस प्रकार है:
तौ भगवानु सकल उर बासी। करिहि मोहि रघुबर कै दासी।। 

जेहि कें जेहि पर सत्‍य सनेहू। सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू।।  
प्रसंग बालकांड का है. राजा जनकजी प्रतिज्ञा करते हैं कि वे अपनी पुत्री सीताजी का विवाह उससे करेंगे, जो शिव के भारी धनुष को उठाकर तोड़ दे. सीताजी का मन श्रीराम के प्रति आकर्षित हो चुका था. वे चाहती थीं कि उनके पिता की प्रतिज्ञा बेकार न जाए. साथ ही उनका विवाह तेजस्‍वी व हर तरह से श्रेष्‍ठ राजकुमार श्रीराम से ही हो. परंतु उनके मन में यह संदेह था कि शायद ये सुकुमार शिव के भारी धनुष को उठा न सकें. ऐसे में उनका मन व्‍याकुल हुआ जा रहा था.
तब सीताजी धीरज रखकर अपने हृदय में यह विश्‍वास ले आईं, ‘अगर तन, मन और वचन से मेरा प्रण सच्‍चा है और श्रीरघुनाथजी के चरणकमलों में मेरा मन वास्‍तव में रम गया है, तो सबके हृदय में निवास करने वाले श्रीरामजी उन्‍हें जीवनसंगिनी जरूर बनाएंगे. जिसका जिस पर सच्‍चा स्‍नेह होता है, वह उसे मिलता ही है, इसमें कुछ भी संदेह नहीं है.’

फैशन के लिए ना करे योगासन

आजकल देश में योग का चलन एक फैशन की तरह बढ़ गया है। देखादेखी एक-दूसरे की होड़ में योग अपनाने का शौक चर्राने लगा है। टीवी चैनल्स पर आये दिन नये योग गुरु योगासन सिखा रहे हैं। इनकी देखादेखी ही नीता ने योगासन शुरू किया। एक कम्पनी में सोट्री पद पर कार्यरत नीता ने पता नहीं कहां गलती की कि उसकी पीठ में दर्द रहने लगा है। हजारों रुपयों की दवाइयां व इंजेक्शन के बाद भी नीता अभी तक पूरी तरह ठीक नहीं हुई है। ऐसा ही कुछ अविनाश के साथ हुआ। 

टीवी पर एक योग गुरु को योगासन करते देख उसने योगासन शुरू किया। पहले दो-तीन दिन तो ठीक रहा फिर पता नहीं उसकी क्रिया में कहां चूक हुई कि गर्दन में पीड़ा हो गयी। योगाभ्यास शरीर के लिये उपयोगी है किन्तु (किस व्यक्ति) शारीरिक क्षमतानुकूल के लिये कौन सा आसन और कितनी देर तक करने पर अनुकूल होगा, इसका निर्णय एक योग्य प्रशिक्षक ही कर सकता है। इसलिए टीवी रेडियो, अखबार-पत्रिकाओं में पढ़कर व देखकर स्वयं योग करना घातक हो सकता है।

योगाभ्यास करने से पहले योग्य गुरु की सलाह ले और ध्यान रखें।
1. कुछ आसन, कुछ बीमारी वाले लोगों के लिये नहीं होते, अत: मनमाने आसन न करें।
2. समय व खुराक (डाइट) का विशेष ध्यान रखें।
3. यूं ही मनमाने ढंग का योगाभ्यास लाभ की जगह हानि पहुंचा सकता है।
4. आजकल की व्यस्त जिंदगी में भागमभाग व आपाधापी बढ़ी है किन्तु योगाभ्यास के मामले में इस प्रवृति से बचिए।
तो योग करें किन्तु योग्य प्रशिक्षक की निगरानी में।