जायफल यूं तो सर्दियों में उपयोगी है लेकिन इसकी औषधीय महत्ता
आयुर्वेद में साल भर मानी गई है। यह वेदनानाशक, वातशामक और कृमिनाशक है।
स्नायविक संस्थान के लिए उपयोगी होता है। यकृत को सक्रिय करने वाला और
सुपाच्य होने से पाचन संस्थान के लिए उपयोगी होता है।
अनिद्रा, खांसी, सांस, हिचकी, शीघ्रपतन और नपुंसकता आदि
व्याधियां दूर करने में उपयोगी होता है। इसके चूर्ण और तेल को उपयोग में
लिया जाता है।
नपुंसकता : जायफल को घिस कर दूध में मिलाकर हफ्ते में तीन
दिन पीने से नपुंसकता की बीमारी दूर होती है। यौन शक्ति बढ़ाने के लिए भी
इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके चूर्ण और तेल को शीघ्रपतन दूर करने में
उपयोग में लिया जाता है।
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