Thursday, 9 February 2017

गला बैठने का उपचार - आचार्यबालकृष्ण




गला बैठने का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार :-
  • गला बैठने के रोग का उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को अपने पेड़ू पर गीली मिट्टी की पट्टी से लेप करना चाहिए तथा इसके बाद एनिमा क्रिया का प्रयोग करके पेट को साफ करना चाहिए।
  • गला बैठने के रोग से पीड़ित रोगी को सुबह तथा शाम के समय में अपने गले के चारों तरफ गीले कपड़े या मिट्टी की गीली पट्टी का लेप करना चाहिए।
  • रोगी व्यक्ति को अपने गले, छाती तथा कंधे पर बारी-बारी से गर्म या ठंडा सेंक करना चाहिए तथा इसके दूसरे दिन उष्णपाद स्नान (गर्म पानी से पैरों को धोना) करना चाहिए।
  • रोगी व्यक्ति को गर्म पानी में हल्का सा नमक मिलाकर उस पानी से गरारे करने चाहिए और सुबह तथा शाम के समय में एक-एक गिलास नमक मिला हुआ गर्म पानी पीना चाहिए।
  • गला बैठना रोग से पीड़ित रोगी को 1 सप्ताह तक चोकरयुक्त रोटी तथा उबली-सब्जी खानी चाहिए।
  • इस रोग से पीड़ित रोगी को फल और दूध का अधिक सेवन करना चाहिए जिसके फलस्वरूप यह रोग ठीक हो जाता है।
  • रोगी व्यक्ति को पानी में नींबू का रस मिलाकर दिन में कई बार पीना चाहिए तथा इसके अलावा गहरी नीली बोतल का सूर्यतप्त जल कम से कम 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में 6 बार पीना चाहिए। इस प्रकार से प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने से यह रोग ठीक हो जाता है।
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