किस स्त्री के साथ पुरुष को शारीरिक संबंध स्थापित करने चाहिए और किससे नहीं, इस बात का जिक्र शास्त्रों में भी किया गया है, ये जानकारी इस प्रकार है-
एक पुरुष को बिना एक स्त्री से विवाह किए, उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। फिर बेशक ये आपसी सम्मझौते से हो या जबर्दस्ती, अविवाहित स्त्री के साथ संबंध बनाना पाप है। यदि कोई पुरुष ऐसा करे तो उसे उसके साथ विवाह भी करना चाहिए। कभी भूलकर भी ऐसी स्त्री जो कठोर तपस्या में लीन हो या पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन कर रही हो, उस उसके मार्ग से हटाना नहीं चाहिए। ऐसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाने से ना केवल उसकी तपस्या भंग होती है, साथ ही पुरुष के सिर पर भी महापाप का भार आ जाता है।
अपने दोस्त की पत्नी पर बुरी नजर रखना या दोस्त की पीठ पीछे उसकी पत्नी के साथ शारीरिक संबंध स्थापित करना, यह पाप के समान है। ऐसी स्त्री को सम्मान की नजरों से देखना चाहिए। अपने ही परिवार की किसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाना शास्त्रों की दृष्टि से बेहद गलत है। इन स्त्रियों के साथ खून का रिश्ता होता है, इसलिए इनके साथ इस तरह का संबंध बनाना महापाप कहलाता है।
शास्त्रों के अनुसार दुश्मन की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना या उसके साथ किसी भी प्रकार का संपर्क तक साधना एक पाप है। ऐसी स्त्री को पूर्ण रूप से नजरअंदाज करना ही सही है। ऐसी स्त्री नुकसान का कारण भी बन सकती है। प्राचीन समय की बात हो, या फिर आज के युग की, वेश्याओं को कभी सही नहीं समझा गया। शास्त्रों के अनुसार ऐसी स्त्री, जो धन के लिए अपना मान-सम्मान त्याग कर ‘शरीर बेचने’ को तैयार हो जाए, उसके साथ शारीरिक संबंध बनाना महापाप है।
कभी भी नशे का शिकार हुई स्त्री के करीब नहीं जाना चाहिए। या जो स्त्री किसी कारण से अपने होश में ना हो, ऐसी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। उसके नशे में या बेहोश होने का फायदा उठाने वाला पुरुष महापापी कहलाता है। ओहदे में खुद से नीचे की या खुद के शिष्य की पत्नी के साथ कभी शारीरिक संबंध नहीं बनाने चाहिए। यह शास्त्रों में उल्लिखित महापापों में से एक महापाप माना जाता है।
एक पुरुष को गलती से भी एक विधवा स्त्री के करीब नहीं जाना चाहिए, अर्थात् उसके साथ शारीरिक रूप से संपर्क ना साधें। यदि वह उससे विवाह कर ले, तो उसके बाद ही ऐसी स्त्री के साथ संबंध बनाए जा सकते हैं। खुद से उम्र में बड़ी स्त्री के साथ शारीरिक संबंध बनाना शास्त्रों की राय में गलत है। एक पुरुष को कभी भी ऐसी स्त्री को अपने प्रति आकर्षित करने का पाप नहीं करना चाहिए।
गुरु, शिक्षक, निर्देशक, ये हमारे लिए क्या अहमियत रखते हैं यह तो वही जानता है जिसने सच्चे मन से इन्हें माना हो। लेकिन कुछ पापी लोग ऐसे ज्ञानी लोगों की पत्नी पर बुरी नजर रखते हैं। उनके उकसाकर या गलत तरीके से उनके साथ शारीरिक संबंध बनाना महापाप है। अपनी ही पत्नी की मां को ‘मां’ ही मानना चाहिए, उसके लिए मां की बजाय शारीरिक आकर्षण जैसी भावना रखना दुष्ट पापियों जैसी प्रवृत्ति होती है। ऐसी स्त्री से शारीरिक संबंध बनाने की कभी भी भूल नहीं करनी चाहिए।
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